Thursday

तेरा मेरा रिश्ता

तेरा यकीन क्यों
मैंने किया नही
तुझसे रहा क्यों जुदा
मुझ पे ये ज़िंदगी
करती रही सितम
तूने ही दी है पनाह
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
तेरा मेरा रिश्ता पुराना

यह क्या तड़प है
है यह कैसी सज़ा
तू क्यों मुझे याद आगया
बेचैन दिन मेरे
बेचैन रातें हैं
क्या मैं करूं कुछ बता

यह मेरे पाऊँ ही
ख़ुद मेरी बेडियाँ हैं
मुझ से तू मुझे छुडा
तेरा मेरा रिश्ता पुराना

क्या मुझमें है
शख्स वह कह रहा
आ अब मैं दू क़र्ज़ तेरा चुका
आंखें है नम मेरी
साँसें चुभन मेरी
दिल के वीराने में
मेरे फ़साने में
तू ही तूही तो हर दम रहा
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
तेरा मेरा रिश्ता पुराना




1 comment:

Anonymous said...

Hmm... Nice one :)

two lines from my side :D

Zindgi yeh ziddi hai mere yaar
Kabhi kare tujhse kabhi mujhse pyar

he he :D

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