मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करुँ
मेघा छाए आधी रात
सब के आँगन दिया जले रे मोरे आँगन जिया ...
हवा लागे शूल जैसी ताना मारे चुनरिया ...
आई है आँसूं की बरात ...
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करुँ
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
आ आ
रूठ गए रे सपने सारे टूट गई रे आशा ....
नैन बहे रे गंगा मोरे फिर भी मन हें प्यासा ....
किसे काहूँ रे मन की बात
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करून
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
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