मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करुँ
मेघा छाए आधी रात
सब के आँगन दिया जले रे मोरे आँगन जिया ...
हवा लागे शूल जैसी ताना मारे चुनरिया ...
आई है आँसूं की बरात ...
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करुँ
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
आ आ
रूठ गए रे सपने सारे टूट गई रे आशा ....
नैन बहे रे गंगा मोरे फिर भी मन हें प्यासा ....
किसे काहूँ रे मन की बात
बैरन बन गई निंदिया
बतादे मैं क्या करून
मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
Wednesday
कुछ दिल ने कहा..- अनुपमा
कुछ दिल ने कहा.. आ आ..
कुछ भी नही ... ई ई
कुछ दिल ने सुना ... आ आ
कुछ भी नही ....ई ई
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा.. आ आ..
कुछ भी नही ....ई ई
लेता है दिल अन्ग्दायिन्यान
इस दिल को समझाए कोई
आरमान न आँखें खोल दे
रसुवा न हो जाए कोई
पलकों की ठंडी सेज पर
सपनों की परियां सोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा आ आ
कुछ भी नहीं ..
दिल की तसल्ली के लिए
झूटी चमक झूठा निखार
जीवन थो सूना ही रहा
सब समझे आई है बहार
कलियों से.. कोई पूछता ...
हस्तीं हैं वोह या रोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा ...
कुछ भी नही ....ई ई ...
कुछ दिल ने सुना आ आ ..
कुछ भी नही ....ई ई ॥
कुछ भी नही ... ई ई
कुछ दिल ने सुना ... आ आ
कुछ भी नही ....ई ई
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा.. आ आ..
कुछ भी नही ....ई ई
लेता है दिल अन्ग्दायिन्यान
इस दिल को समझाए कोई
आरमान न आँखें खोल दे
रसुवा न हो जाए कोई
पलकों की ठंडी सेज पर
सपनों की परियां सोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा आ आ
कुछ भी नहीं ..
दिल की तसल्ली के लिए
झूटी चमक झूठा निखार
जीवन थो सूना ही रहा
सब समझे आई है बहार
कलियों से.. कोई पूछता ...
हस्तीं हैं वोह या रोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं
कुछ दिल ने कहा ...
कुछ भी नही ....ई ई ...
कुछ दिल ने सुना आ आ ..
कुछ भी नही ....ई ई ॥
Thursday
सारे सपने कहीं खो गए..
मोहब्बत पलकों पे कितने हसीं खवाब सजाती है..
फूलों से महकत खवाब..
सितारों से जगमगात खवाब..
शबनम से बरसत खवाब..
फिर कभी यूँ भी होता है की
पलकों की डालियों से खवाबों
के सारे परिंदे उड़ जात
हैं..और आँखें वीरान सी रह जाती हैं"
सारे सपने कहीं खो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
दिल से तन्हाई का दर्द जीता
क्या कहें हम पे क्या क्या न बीता..
तुम न आए, मगर जो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए॥
सारे सपने कहीं खो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
तुमने हमसे कहीं थी जो बातें..
उनको दोहराती हैं गम की रातें..
तुमसे मिलने के दिन तो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
सारे सपने कहीं खो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
कोई शिकवा न कोई गिला है..
तुमसे कब हमको यह गम मिला है...
हाँ नसीब अपने ही सो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
सारे सपने कहीं खो गए..
हाय हम क्या से क्या हो गए..
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